कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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शनिवार, 10 अक्टूबर 2009

१ बार मुस्कुरा २

एक साहब जी घबराए हुए आये और बीवी से बोले-”मैं दफ्तर से आ रहा था कि रास्ते में एक गधा ……!”
इतने में उनकी बच्ची बोल उठी-”मम्मी! बबलू ने मेरी गन तोड़ दी है !”पति ने फिर कहना शुरू किया -”हां तों मैं कह रहा था कि रास्ते में एक गधा …….!
इतने में उनका लड़का बोला -”मम्मी !बबलू ने मेरी कार तोड़ दी है !”
बीवी झल्लाकर बोली - ”ईश्वर के लिए तुम सब चुप हो जाओ, मुझे पहले गधे की बात सुन लेने दो !”

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