कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

१ बार मुस्कुरा २

टैक्सी से उतरते हुए देख सांता सिंह से एक पड़ोसी ने पूछा : बेटा कहाँ से आ रहे हो, कहीं बाहर गए थे क्या?
सांता सिंह : नहीं अंकल! मैं तो 'वॉक व्हेन यू टॉक' विज्ञापन से प्रभावित होकर अपनी फ्रेंड से बात करते-करते 8-10 किलोमीटर दूर चला गया था...।, वापस आने के लिए जब कोई फोन कॉल नहीं आया तो टैक्सी पकड़ना पड़ा ।

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