कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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रविवार, 4 अक्टूबर 2009

१ बार मुस्कुरा २

संता सिंह की नई नौकरी लगी।
पहले दिन संता ने बहुत देर तक काम किया।
देर रात तक उसकी टेबल से खटर-पटर की आवाज आती रही।
संता का बॉस उससे बड़ा खुश हुआ।
अगले दिन बॉस ने संता को अपने केबिन में बुलाकर पूछाः कल तुमने देर रात तक क्या किया?
संताः कुछ नहीं सर, दरअसल की-बोर्ड के एल्फाबेट्स क्रम में नहीं थे... उन्हीं को ठीक कर रहा था।

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