सपोले भी अब फुफ्कारने लगे
साँपो कि शिकायत कौन करे ।
चूज़ो ने भी कफन सर पर बाँधा
अब जान कि हिफाज़त कौन करे ।
जब आज़ाद हुए तो सोचने लगे
अब हम पर हुकूमत कौन करे ।
पर जब बढ चले आज़ाद कदम
तब भ्रष्टो कि नजाकत कौन सहे ।
जब बेशर्म ही सिरमौर हुए
तब उम्मीद-ए-शराफत कौन करे ।
सब बैठे है यह सोच कर कि
देखें शुरूआत-ए-बगावत कौन करे ।
अब लाख टके का प्रश्न है कि
मुल्क के लिए पहले शहादत कौन करे ।
साँपो कि शिकायत कौन करे ।
चूज़ो ने भी कफन सर पर बाँधा
अब जान कि हिफाज़त कौन करे ।
जब आज़ाद हुए तो सोचने लगे
अब हम पर हुकूमत कौन करे ।
पर जब बढ चले आज़ाद कदम
तब भ्रष्टो कि नजाकत कौन सहे ।
जब बेशर्म ही सिरमौर हुए
तब उम्मीद-ए-शराफत कौन करे ।
सब बैठे है यह सोच कर कि
देखें शुरूआत-ए-बगावत कौन करे ।
अब लाख टके का प्रश्न है कि
मुल्क के लिए पहले शहादत कौन करे ।
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