कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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मंगलवार, 16 अगस्त 2011

चिंतन

सपोले भी अब फुफ्कारने लगे
साँपो कि शिकायत कौन करे ।

चूज़ो ने भी कफन सर पर बाँधा
अब जान कि हिफाज़त कौन करे ।

जब आज़ाद हुए तो सोचने लगे
अब हम पर हुकूमत कौन करे ।

पर जब बढ चले आज़ाद कदम
तब भ्रष्टो कि नजाकत कौन सहे ।

जब बेशर्म ही सिरमौर हुए
तब उम्मीद-ए-शराफत कौन करे ।

सब बैठे है यह सोच कर कि
देखें शुरूआत-ए-बगावत कौन करे ।

अब लाख टके का प्रश्न है कि
मुल्क के लिए पहले शहादत कौन करे ।

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