कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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बुधवार, 10 अगस्त 2011

(बेमेल) तुकबन्दी - किस्त पाँच


पिछ्ले कुछ दिंनोँ मेँ फेसबुक पर मित्रोँ के साथ वार्तालाप मेँ कुछ तुकबन्दी का सहारा लिया । उन्ही मेँ से कुछ को यहाँ अपने ब्लाग पर भी प्रेशित कर रहा हूँ, उम्मीद है पसन्द आयेगी.....


एक मित्र ने लिखा 
Hum na bhi rahe to hamari yaaden wafa karengi tumse ,
Yeh na samajhna ke tumhe chaha tha baas jine ke kiye"

मैने लिखा
तुझे भूलने कि मेरी कोशीशे तमाम, एक जरिया हो गई तुझे याद करने की,
खुली जब यह बात जमाने मेँ, नही मिली एक भी मिसाल मुकरने की

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