कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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सोमवार, 5 सितंबर 2011

शिक्षक और शिक्षा


शिक्षक दिवस: हम सभी जानते हैं कि यह दिवस हम क्यों मनाते हैं । किसकी याद में मनाते हैं । और कैसे मनाते हैं । इस दिन हम अपने शिक्षकों के प्रति अपना कृतज्ञता कृतज्ञता जाहिर करते हैँ, उनका सम्मान करते हैं । यह तो हमें हर दिन ही करना चाहिए । आईए, आज का दिन हम शिक्षकों के नाम करने के साथ-साथ यह भी निश्चित करते हैं कि यही भावना हम वर्ष भर बनाए रखेंगे।
आईए आज के इस शुभ अवसर पर हम यह भी विचार करते हैं कि शिक्षक कौन है? मेरे विचार से हम जिससे कोई शिक्षा ग्रहण कर सकें, वही शिक्षक है। मुझे इस संसार में ऐसा कुछ नहीं दिखता जिससे हम कुछ-न-कुछ शिक्षा ग्रहण न कर सकें । चाहे वह जड़ हो या चेतन । राजा हो या रंक । छोटा हो या बड़ा । लेकिन ...... कोई भी शिक्षा लेना हो तो पहले हमें खुद को शिक्षा ग्रहण करने के काबिल बनाना होगा ।

अगर इस जगत में सभी से कुछ सीखा जा सकता है, अगर सभी में शिक्षक के गुण हैं तो हममें भी यह गुण अवश्य होंगे ! तब क्यों न सबसे पहले हम अपने अन्दर के शिक्षक को जगाएं? अगर हम खुद से शिक्षा ले सकें तो यह सबसे अच्छा होगा । तो आईए आज के दिन हम अपनें अन्दर के सोए हुए शिक्षक को जगाएं !! मुझे विश्वास है कि एक शिक्षक कोई गलत काम नहीं करता, यदि ऐसा है, तो क्या यह हमारे सभी समस्याओं का समाधान नहीं होगा?  

शिक्षक दिवस पर हम संसार में फैले कुरितियों से (और उससे पहले, अपने अन्दर के कुरितियोँ से) इस संसार को आज़ाद कराते हैं ।

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