कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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सोमवार, 20 जून 2011

ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगें

बंता देर रात घर पहुंचा.
पि‍ता ने पूछा : कहां थे बेटा
बेटा बोला : दोस्त के घर पर था पिता जी .
पिता ने उसके 10 दोस्तों के घर फोन किया.
4 ने जवाब दिया यहीं पर था अंकल.
3 ने जवाब दिया बस अभी निकला है अंकल घर पहुंचता ही होगा.
2 बोले : यहीं पर है अंकल पढ़ रहा है, फोन दूं क्या?
पर संता ने तो हद ही कर दी, बोला : “हां पापा बोलो क्या हुआ?”

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