कुछ मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

पृष्ठ

मंगलवार, 14 सितंबर 2010

हिन्दी : मातृ भाषा से मात्र भाषा तक


हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष १४ सितम्बर को मनाया जाता है। १४ सितंबर १९४९ को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी । इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् १९५३ से संपूर्ण भारत में १४ सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय की धारा ३४३(१) में इस प्रकार वर्णित है:
संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी । संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा ।                                                                                                 (विकिपीडिया से साभार)
*****************************************
हिन्दी : मातृ भाषा से मात्र भाषा तक




आज़ादी के बाद भारत ने उन्नति के कई आयाम देखे हैं। हमनें आज़ादी के बाद बहुत कुछ पाया है, बहुत कुछ खोया भी है। आज के दिन अगर हम पीछे मुड के देखें तो पाएंगे कि उन्नति कि आपाधापी में कुछ अमुल्य वस्तु भी खोया है। यह फेहरिस्त बहुत लम्बी हो सकती है, लेकिन हिन्दी दिवस के सन्दर्भ में देखें तो मुझे लगता है कि हमने कहीं-न-कहीं अपनी मातृ भाषा के सम्मान को खोया है। दूसरी प्रांतीय अथवा विदेशी भाषा को सीखने-बोलनें-सम्मान देने  में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अपनी मातृ भाषा से ज़्यादा सम्मान अन्य भाषा को देना कहां तक सही है? यह हमें कभी-न-कभी सोचना पडेगा। इस चिंतन के लिए आज से बेहतर दिन और अब से बेहतर समय कभी नहीं होगा।


ज़रा सोचिए...., एक समय था जब हमारे पूजनीय स्वतंत्रता सेनानीओं नें हिन्दी को मां का रूप मान कर इसे मातृ भाषा कहा था, और आज हम हिन्दी को मात्र भाषा से ज़्यादा तवज्जो नहीं देते हैं ।


आइए आज हम वायदा करते हैं कि जो काम हम हिन्दी में कर सकते हैं वह काम हम किसी और भाषा में नहीं करेंगें। या वायदा छोडिए, आज से हम यह कोशिश अवश्य करेंगे (क्यों कि वायदे अक्सर टूट जाते हैं और कोशिशे कामयाब हो जातीं हैं)।

आइए हम हिन्दी को मात्र भाषा से अलग मातृ भाषा का सम्मान दिलाने का प्रयास करते है। यह एक छोटा सा  
कदम एक दिन मील का पत्थर अवश्य बनेगा, इस उम्मीद के साथ  आप सब को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं”!! 

गुरुवार, 9 सितंबर 2010

महात्मा गांधी ने कहा था


Freedom is never dear at any price. It is the breath of life. What would a man not pay for living?

सोमवार, 6 सितंबर 2010

महात्मा गांधी ने कहा था




Everyone who wills can hear the inner voice. It is within everyone.

रविवार, 5 सितंबर 2010

शिक्षक और शिक्षा

आईए आज के इस शुभ अवसर पर हम यह भी विचार करते हैं कि शिक्षक कौन है? मेरे विचार से हम जिससे कोई शिक्षा ग्रहण कर सकें, वही शिक्षक है। मुझे इस संसार में ऐसा कुछ नहीं दिखता जिससे हम कुछ-न-कुछ शिक्षा ग्रहण न कर सकें । चाहे वह जड़ हो या चेतन । राजा हो या रंक । छोटा हो या बड़ा । लेकिन ...... कोई भी शिक्षा लेना हो तो पहले हमें खुद को शिक्षा ग्रहण करने के काबिल बनाना होगा ।
अगर इस जगत में सभी से कुछ सीखा जा सकता है, अगर सभी में शिक्षक के गुण हैं तो हममें भी उअह गुण अवश्य होंगे ! तब क्यों न सबसे पहले हम अपने अन्दर के शिक्षक को जगाएं? अगर हम खुद से शिक्षा ले सकें तो यह सबसे अच्छा होगा । तो आईए आज के दिन हम अपनें अन्दर के सोए हुए शिक्षक को जगाएं !! मुझे विश्वास है कि एक शिक्षक कोई गलत काम नहीं करता, यदि ऐसा है, तो क्या यह हमारे सभी समस्याओं का समाधान नहीं होगा?  
शिक्षक दिवस पर हम संसार में फैले कुरितियों से (और उससे पहले, अपने अन्दर के कुरितियोँ से) इस संसार को आज़ाद कराते हैं ।

शिक्षक दिवस पर विशेष

शिक्षक दिवस: हम सभी जानते हैं कि यह दिवस हम क्यों मनाते हैं । किसकी याद में मनाते हैं । और कैसे मनाते हैं । इस दिन हम अपने शिक्षकों के प्रति अपना कृतज्ञता कृतज्ञता जाहिर करते हैँ, उनका सम्मान करते हैं । यह तो हमें हर दिन ही करना चाहिए । आईए, आज का दिन हम शिक्षकों के नाम करने के साथ-साथ यह भी निश्चित करते हैं कि यही भावना हम वर्ष भर बनाए रखेंगे ।