पिछ्ले कुछ दिंनोँ मेँ फेसबुक पर मित्रोँ के साथ वार्तालाप मेँ कुछ तुकबन्दी का सहारा लिया । उन्ही मेँ से कुछ को यहाँ अपने ब्लाग पर भी प्रेशित कर रहा हूँ, उम्मीद है पसन्द आयेगी.....
एक मित्र ने लिखा
Hum na bhi rahe to hamari yaaden wafa karengi tumse ,
Yeh na samajhna ke tumhe chaha tha baas jine ke kiye"
Yeh na samajhna ke tumhe chaha tha baas jine ke kiye"
मैने लिखा
तुझे भूलने कि मेरी कोशीशे तमाम, एक जरिया हो गई तुझे याद करने की,
खुली जब यह बात जमाने मेँ, नही मिली एक भी मिसाल मुकरने की
खुली जब यह बात जमाने मेँ, नही मिली एक भी मिसाल मुकरने की
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