कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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रविवार, 7 अगस्त 2011

(बेमेल) तुकबन्दी - तीसरा किस्त

पिछ्ले कुछ दिंनोँ मेँ फेसबुक पर मित्रोँ के साथ वार्तालाप मेँ कुछ तुकबन्दी का सहारा लिया । उन्ही मेँ से कुछ को यहाँ अपने ब्लाग पर भी प्रेशित कर रहा हूँ, उम्मीद है पसन्द आयेगी.....

ज़िन्दगी के दिए हर चोट, जख्म नहीँ शिक्षा है
हर जख्म से हम कुछ सीख सके, बस यही इच्छा है

सच्चा हमसफर, सफर-ए-ज़िन्दगी कि हर मुश्किल को कर दे आसाँ,
बस सच्चे हमसफर की पहचान ही ज़िन्दगी की असली परिक्षा है

करो हर प्रयास, कि पहचान हो सके सच्चे हमसफर का
मिलना हमसफर का कोई इत्तेफाक नहीँ, और न ही कोई भिक्षा है

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