पिछ्ले कुछ दिंनोँ मेँ फेसबुक पर मित्रोँ के साथ वार्तालाप मेँ कुछ तुकबन्दी का सहारा लिया । उन्ही मेँ से कुछ को यहाँ अपने ब्लाग पर भी प्रेशित कर रहा हूँ, उम्मीद है पसन्द आयेगी.....
अकेलेपन का क्या डर, जब वह खुद ही मुझसे खौफज़दा है
ख्वाबो खयालोँ से क्या गिला, उससे कौन सा परदा है
क्या हुआ जो मै कुछ मायूस सा हूँ ऐ यारोँ
यही तो मेरी मासूमियत और अदा है
अकेलेपन का क्या डर, जब वह खुद ही मुझसे खौफज़दा है
ख्वाबो खयालोँ से क्या गिला, उससे कौन सा परदा है
क्या हुआ जो मै कुछ मायूस सा हूँ ऐ यारोँ
यही तो मेरी मासूमियत और अदा है
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