कुछ मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

पृष्ठ

गुरुवार, 4 अगस्त 2011

(बेमेल) तुकबन्दी


पिछ्ले कुछ दिंनोँ मेँ फेसबुक पर मित्रोँ के साथ वार्तालाप मेँ कुछ तुकबन्दी का सहारा लिया । उन्ही मेँ से कुछ को यहाँ अपने ब्लाग पर भी प्रेशित कर रहा हूँ, उम्मीद है पसन्द आयेगी..... 

एक दिन सोचा कि अकेले बैठ कर बोर होने का रस लिया जाय
लेकिन मेरी तनहाई ने मेरे पास आ कर मेरे अकेलेपन को तोड दिया

कभी सोचा कि चलो कभी ज़िन्दगी कि राहो मेँ अकेले खो कर देखेँ
लेकिन ज़िन्दगी के दो-राहोँ ने मुझे अपने आप मेँ खोने ना दिया

कभी सोचा कि चलो जमाने कि भीड मेँ कोई मित्र खोजा जाए
लेकिन कुछ ही समय मेँ मित्रोँ कि भीड मेँ मैँ खुद ही खो गया

इन आखोँ से जब भी दुनियाँ कि खूबसूरती को देखा
सबको कम-ज्यादा के तराजू मे रखा
लेकिन जब दिल कि आखोँ से परखा
मुझे कुछ भी बुरा न मिला

अगर उदास हो कर ज़िन्दगी को देखा जाय
तो सब कुछ नीरस सा लगता है
खुश हो कर कभी ज़िन्दगी को निहारो
हर कुछ केवल खुशनुमा ही मिलता है
 

(
तुक तो मिला नहीँ, बन्दगी ही सही)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें