कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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रविवार, 30 अक्टूबर 2011

Survival of the fittes


बाज़ार केवल लाभ कि भाषा जानता है, मेरे ख्याल से इसे खुली छूट नहीं दी जानी चाहिए। Survival of the fittest सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन कभी हम यह भी सोचते है कि आगे बढने कि इस अंधी दौड में पीछे रह जाने वाला व्यक्ति भी हममें से ही एक होता है। भारतीय संसकृति में हम केवल लाभ कि चर्चा न कर के शुभ-लाभ कि चर्चा करते हैं, यानीं वह लाभ जो शुभ हो, अब क्या कोई ऐसा कदम शुभ हो सकता है जिससे चंद लोगों को असीम लाभ होता हो लेकिन जनसाधारण को कोई लाभ न हो बल्की दूरगामी हानी का ही अंदेशा हो?

मुझे देश कि उच्च विकास दर पर नाज़ तो है लेकिन जाने क्यों मुझे लगता है कि यह लाभ उस अंतिम व्यक्ति (जैसा गांधी जी ने कहा है) तक नहीं पहुंच पाता है । तो क्या यह विकास केवल चंद लोगों के लिए ही है?

ऐसी मान्यता है कि उच्च विकास दर कि वजह से मुद्रास्फिति पैदा होती है, मुद्रास्फिति के इस चक्की से बडे व्यापारियों पर तो धन-वर्षा होती है लेकिन उस चक्की में पिसता हो आम आदमी ही है न? तो क्या यह उच्च विकास दर एक छलावा मात्र नहीं है?

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011

१ बार मुस्कुरा २

अध्यापक छात्र से: OXFORD मतलब क्या होता है?

छात्र : OX मतलब बैल और FORD एक गाडी का नाम है, इसलिए OXFORD मतलब बैलगाडी होता है।

सोमवार, 24 अक्टूबर 2011


धनतेरस

धन-तेरस ! मेरी अल्प जानकारी में यह एक मात्र  दिन है जिसमें तेरह (१३) का अंक जुडा हुआ है फिर भी हर वर्ष इसे हर्ष-उल्लास से मनाया जाता है।  आज का दिन धनवन्तरी जयन्ती भी है । हम सब को यह दिन मुबारक हो, हम सबकी मंगल-कामनांएं पूरी हों ।

रविवार, 2 अक्टूबर 2011


महात्मा गाँधी कि भारत यात्रा


(मैं नही जानता कि मैं इसे हास्य कहूँ या व्यंगइसे गद्य कहूँ या पद्यव्यथा कहूँ या अभिलाषा,सम्वेदना कहूँ या अभिव्यक्तिचिंता कहूँ या चिंतनलेकिन ये विचार मुझे आज से ठीक 1३ वर्ष पहले आया थाजिसे मैंने कलमबद्ध तो उसी समय कर दिया थाएक मंच से पढा भी थालेकिन उसके बाद से यह मेरे जेहन में कहीं दबा हुआ था। आज महात्मा गाँधी जी का जन्मदिन हैऔर मुझे लगता है आज सही वक्त है इसे पुन: अभिव्यक्त करने का। इस लेख में पात्रों को व्यक्ति विशेष के रूप में न देखा जाना चाहिए बल्की भावना को समझने कि चेष्टा होनी चाहिए और इसी सन्दर्भ में मैं आप सबकी राय भी जानना चाहुँगा) (यह लेख पिछले वर्ष के इसी ब्लाग से लिया गया है)

जैसे ही महात्मा गाँधी जी अखबार उठाए
मायावती द्वारा खुद के नाम पर प्रहार पाए
सो वह तुरंत पहुंचे बी.एम.डब्लू’ के घर
वहां उनका नौकर बोला बैठीएबहन जी हैं अन्दर

बहन माया वती’ आते ही पकड़ लीं गाँधी जी के पैर
और बोलीं आशिर्वाद दीजीए
गाँधी जी बोले पैर छोड़िए पहले मुझसे बात कीजिए,
पहले मेरी इस शंका का निवारण कीजिए,
खबरों से तो लगता है आप हैं मुझसे नाराज़ सख्त,
लेकिन अभी तो लग रहा है आप हैं मेरी परम भक्त

सुन कर यह बात मायावती मुस्काईंथोड़ा सकुचाईं
और दबी आवाज़ में गाँधी जी को सच्चाई बतलाईं
बोलीं, मैनें इसलिए प्रकट किया आपका आभार
क्योंकि आप ही हैं मेरे राजनीतिक जीवन का आधार।
चँद दिनों पहले मुझे जानता नहीं था कोई,
और आज मेरे पीछे है विधायकों की फौज,
इतने कम समय में प्रसिद्धी पानामेरी ही है मौलिक खोज।

आमतौर पर सभी आप को पूजते हैं,
सो मैनें सबसे अलग हट कर आपको दी गाली,
इस वजह से मुझे खबरों में मिली सुर्खी
और आज सोने-चाँदी से भरी है मेरी थाली।
इसीलिए मैंने कहाआप ही हैं मेरे राजनीतिक जीवन का आधार,
अब आप जो सज़ा देंवो है मेरे लिए सिरोधार।
अपने राजनीतिक आराध्य को गाली देना मुझे भी खलता है,
पर क्या करें आज-कल राजनीति में सब चलता है

मायावती से मिल कर गाँधी जी पहुँचे उस पार्टी के पास,
जिस पार्टी का उन्होने मरते दम तक दिया था साथ।
पार्टी के दफ्तर कि दीवार पर टंगी थी महात्मा गाँधी की तस्वीर
जिसपे पड़ी थी एक ताज़े फूलों की माला,
और उस तस्वीर के पीछे छिपा था धन काला।
उन्हे न पहचानते हुए एक बड़े नेता ने पुछा कौन?
महात्मा गाँधी खड़े रहे मौन।

वह नेता पुन: बोला किससे मिलना हैबोलो क्या काम है?
गाँधी जी बोले, शायद इसीलिए है कांग्रेस इतनी बदनाम
बोले, तुम मेरे नाम से करते हो अपनी राजनीति का व्यापार
और मुझे ही पहचानने से करते हो इंकार?
मुझे गाली देने वालों से राजनीतिक तालमेल करते हो
और सत्ता में आने पर घोटाले और गोलमाल करते हो,
शर्म नहीं आतीकांग्रेसी हो कर भी पैसे पर मरते हो?

इतना सुन कर बोला वह कांग्रेसी नेता
आप को अन्दर आते तो किसी ने नहीं न देखा?
अब आप चुपचाप पिछले रास्ते से हो जाइए नौ-दो-ग्यारह
और कृपया इधर बीच यहाँ न आइयेगा दोबारा।
कहीं-कहीं हमारा ब.स.पा. से समझौता है
आप को यहाँ देख कर हमारा सम्बन्ध खराब हो सकता है।
ऐसा नहीं है कि हम आप की इज्जत नहीं करते हैं
लेकिन क्या करें मायावती से डरते हैं।
न चाहते हुए भी हमारा ब.स.पा. से समझौता है,
क्योंकि ऐसा बुरा दौर बड़ी मुश्किल से टलता है,
और आज-कल राजनीति में सब चलता है

कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी का देख कर यह हाल
महात्मा गाँधी हो गए बदहाल,
अब काफी थकी हुई सी लग र्ही थी उनकी चाल।
तभी दिखा उन्हे भा.ज.पा. का दफ्तर,
उसकी भव्यता देख कर उन्हे आने लगा चक्कर,
एक धर्म-निर्पेक्ष देश में धर्म के ठेकेदारों की ये शान?
वाह-रे इस देश कि जनतावाह-रे मेरे देश महान।
इनका पहला नारा है स्वदेशी,
और पैर में पहनें जूते का फीता भी है विदेशी।
इनका जो भी हैसब है दिखावा,
चाहे हो इनका चरित्रचाहे पहनावा।
ऐसा दल देख कर ये दिल जलता है,
पर क्या करेंआज राजनीति में यही चलता है।

वहाँ से आगे बढे तो मिला एम. एस. यादव का घर
यानीसमाजवादी पार्टी का मुख्य सदर,
बाहर समाज भूख से तड़प रहा था,
और अन्दर समाजवादी नेता पेट-पूजा कर रहा था।
यह दृश्य देख कर महात्मा गाँधी रह गये दंग,
क्या ऐसा ही होता है समाजवादी नेता का रंग-ढंग !
उन्होने पुछा, क्या आप विश्वास रखते हैं समाजवाद में?
भोजन से बिना हटाए ध्यानमुलायम ने दिया जवाब,
हाँहम विश्वास करते हैं इस बात मेंकि पहले हमसमाज बाद में
आज के दौर का समाजवादी नेता ऐसे ही पलता है,
और आज-कल राजनीति में सब चलता है

महात्मा गाँधी एक जगह बैठ गए हो के उदास,
तभी भारतेन्दु’ पहुँच गए उनके पास।
मैंने उनसे पूछ, आप लग रहें हैं परेशान
सुनते ही गाँधी जी हो गए हैरानगुस्से में बोले,
यदि आज राजनीति में यही चलता है,
तो क्यों नहीं तू अपना नेता बदलता है?
मैनें उन्हे समझाया, चिंता छोड़ीयेन हों परेशान
आज का युवा वर्ग है आशावान,
कि बहुत जल्द ही ढलने वाली है भ्रष्टाचार की शाम
और जल्द ही एक नया सवेरा होगा,
जिसमें सिर्फ अमन और इमान का बसेरा होगा।
ये ठीक है कि आज राजनीति में यही चलता है,
लेकिन इतिहास गवाह हैवक्त हमेशा बदलता है॥
वक्त हमेशा बदलता है॥