कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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सोमवार, 2 अगस्त 2010

१ बार मुस्कुरा २

संता : यार मेरे 5 साल के बेटे ने मेरी सारी कविताएं फाड़ डाली। 

बंता : बधाई हो, इतनी कम उम्र में तुम्हारा बेटा साहित्य का पारखी बन गया है।

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