कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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बुधवार, 25 मई 2011

यह पुरूषो कि दुनियां है


भारत में शासन चलता है.........
दक्षिण में  अम्मा (जयललिता)  का
पुर्व में दीदी (ममता बनर्जी) का
उत्तर में बहन जी (मायावती) का
दिल्ली में आण्टी (शीला दिक्षित) का
केंद्र में मैडम (सोनियां गांधी) का
सबसे ऊपर, नानी (राष्ट्रपति) का


और घर में ......  बीबी का...
फिर भी लोग कहते हैं यह पुरूषो कि दुनियां है

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब भारतेंदु जी.... सच कहिये तो भले हम कहे कि " यह पुरुषों दुनिया हैं..." पर सत्यवचन तो यही है की दुनिया पुरुषों की ही हैं पर राज़ महिलावों का होता है..पुरुष तो बस ल्क्स्ज़री कार का ड्राईवर होता है जिस पे सवार महिला को यत्र तत्र दुनिया दर्शन करवाता है. पुरुष तो गृहस्थी की नैया का खेवैया है जिस पे नारी को जाने अनजाने में चढा लेता है और भाव सागर में खेव्ता रहता है....

    संजय
    http://chaupal-ashu.blogspot.com/

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  2. संजय जी ब्लाग पर आगमन पर आप का स्वागत है। आप के शब्दों में यथार्थ नज़र आता है।

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